कल्पान्त प्राण चिकित्सा साधना Kalpant Praan Chikitsa Sadhana

About Course
कल्पान्त प्राण चिकित्सा साधना Kalpant Praan Chikitsa Sadhana
**जीवन शक्ति उपचार का प्राचीन विज्ञान**
*समग्र स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण ऊर्जा चिकित्सा की कला में महारत हासिल करें*
**कोर्स परिचय** प्राण चिकित्सा भारत की वैदिक परंपरा में निहित एक उन्नत ऊर्जा उपचार प्रणाली है जो शारीरिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक स्तरों पर स्वास्थ्य को बहाल करने के लिए सीधे *प्राण* (जीवन शक्ति ऊर्जा) के साथ काम करती है। लक्षणों का इलाज करने वाली पारंपरिक चिकित्सा के विपरीत, प्राण चिकित्सा सभी जैविक कार्यों को नियंत्रित करने वाले मौलिक ऊर्जा मैट्रिक्स को संबोधित करती है इस व्यापक प्रशिक्षण से पता चलता है: – 5 वायु (सूक्ष्म ऊर्जा हवाएँ) और उनके उपचार अनुप्रयोग – नाड़ी और आभा पढ़ने के माध्यम से ऊर्जा अवरोधों का निदान कैसे करें – प्राणिक प्रवाह को निर्देशित करने के लिए सटीक हाथ तकनीकें – रोगग्रस्त ऊर्जा निकालने के लिए प्राचीन विधियाँ – उपचार कंपन को बढ़ाने के लिए दुर्लभ मंत्र, प्राण चिकित्सा के सिद्धान्त, रोग से स्वमुक्ति का सिद्धान्त, प्राण साधना की अभ्यास की विधि, प्राण का स्वरूप, प्राण के स्रोत
शरीर में मौजूद 5 तत्वों में एक प्रमुख तत्व वायु है। वायु के कारण ही इस धरती के सभी जीवों में ´प्राण´ (जीवन) मौजूद है। हवा के द्वारा ही धरती के वातावरण में बदलाव आता है और हमारे शरीर में भी हवा के द्वारा ही बदलाव आता है।
उपनिषदों में प्राण को ब्रह्म अर्थात भगवान कहा गया है। ´प्राण´ शरीर के कण-कण में अर्थात् प्रत्येक सेल्स में मौजूद है। शरीर के सभी इन्द्रियों के सो जाने के बाद भी ´प्राण´ हमेशा अपना काम करता रहता है। ´प्राण´ न कभी थकता है, न रुकता है, न सोता है और न ही आराम करता है। यह दिन-रात बिना रुके कार्य करता रहता है। ´प्राण´ का हमेशा चलते रहना ही इसका मूल मंत्र है। जीवों में जब तक सांस अर्थात् प्राण चलते रहते है तब तक जीव जीवित रहता है और जब यह सांस (प्राण) रुक जाती है या काम करना बंद कर देती है, तब जीव मर जाता है। इसप्रकार शरीर में ´प्राण´ ही सब कुछ है।
प्राण शरीर का बल, मनोबल (इच्छाशक्ति), मानसिक शक्ति और आत्मबल है। आधि-व्याधि (रोग-दोष), चिन्ता निराशा और विकारों से संतृप्त लोगो के लिए प्राण आशा, उत्साह, स्वास्थ्य, स्फूर्ति, प्रफुल्लता और जीवन देने वाला अमृत है। जिस तरह अमृत का कार्य मरने वाले को जीवित करना होता है, उसी तरह प्राणशक्ति का भी काम मनुष्य के अंदर मरी हुई इच्छाशक्ति, पाप-ताप आदि से खत्म हुई आत्मा व मन में नई शक्ति का संचार करना है। यह इच्छाशक्ति और ज्ञान को बढ़ाता है। प्राण द्वारा आत्मा व मन तेजस्वी बनता है, यशस्वी बनता है। यह जीवन को धन्य व अमर बनाता है।
प्राण साधना के द्वारा स्वयं व दूसरों के अंदर की बुराइयों को खत्म करना-
इस प्राण चिकित्सा के द्वारा बच्चों की शरारतों व बुराइयों को खत्म करना-
प्राणायाम साधना से दुराचारी पति या बुरे स्वभाव की पत्नी को सुधारना-
प्राण साधना से सभी प्रकार के वायरसों व रोगों से बचाव
रोगग्रस्त अंगों की ओर रक्त (खून) को प्रवाहित करने की विधि-
प्राण साधना से जीवन की उलझी समस्याओं को दूर करने की विधि-
प्राण साधना द्वारा दुष्प्रभावों को दूर करने व आत्मरक्षा कवच के निर्माण की विधि-
Course Content
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