



















Reiki Healings
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रेंकी (Reiki)
रेंकी (Reiki) एक जापानी शब्द हैं।, जिसका अर्थ हैं। सर्वव्यापी जीवनी शक्ति (Universal Life Energy), इसको ब्रह्मांडीय ऊर्जा (Cosmic Energy) भी कहा जाता हैं। रेकी शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है, (‘रे’ अर्थात् सर्वव्यापी) (‘की’ अर्थात् प्राण ऊर्जा), ब्रह्मांड की चेतना शक्ति जो कण कण में व्याप्त है, ओर जो पुरे विश्व को चला राही है उसको रेकी ऊर्जा कहा जाता है, जिसको आप प्राण शक्ति, जीवन शक्ति, कास्मिक एनर्जी, ब्रह्मांडीय ऊर्जा, दैवीय शक्ति, भगवान का आशीर्वाद, गाड की पावर, खुदा की मेहर, परमात्मा, देवी देवता, अल्लहा, गॉड, पीर, फकीर, पैगम्बर, राम, कृष्ण, हनुमान, आधि नामो से जानते या पुकारते है, इस प्रकार प्रत्येक धर्म, व सभ्यता में इसको अलग अलग नामो से जाना जाता है, इसका असंतुलन जीवन की समस्याओं के रूप में सामने आता है। एनर्जी कम हो जाये तो समस्या, ज्यादा हो जाये तो भी समस्या। एक सुपर हीलर इसे संतुलित करके न सिर्फ अपने जीवन को समस्याओं से मुक्त कर लेता है बल्कि दूसरों के जीवन को भी सुखी बना देता है। जितना भी जगत हम देखते है संजीव निर्जीव, या जो हमको दिखाई नहीं दे रहा वो सब इसी ऊर्जा से चल रहा है, प्रत्येक मनुष्य इस जीवनी शक्ति के साथ उत्पन्न होता हैं। और पूरे जीवन इसका जाने अनजाने प्रयोग करता रहता हैं।
रेकी एक जापानी क्रिया है जिसको लगभग 1800 ईसा के अंतिम वर्षों में डाँ मिकाओ उशुई ने खोजा ओर उन्हे इसका संस्थापक माना गया हैं। परंतु हमारे ऋषि मुनियों ने, संत महात्माओं ने जीवन के आरंभ में ही इस विधि को जान लिया था। और वह प्रार्थना के द्वारा इसका प्रयोग करते थें। हमारे प्राचीन ऋषियों की संपदा को ही डॉक्टर मिकाओ उशुई ने खोजा और जापानीज सिंबल व जापानी मंत्र दिए, परन्तु कल्पांत रेंकी साधना में हम भारतीय सिंबल व मंत्र के द्वारा रेंकी हीलिंग सीखेंगे और यह रेंकी या ऊर्जा जापानीज रेंकी से हजारों गुना तेजी से काम करेंगी और इसको जानना व सीखना भी आसान होगा।
आप ने सुना होगा कि हमारे पूर्वज, गुरु, संत, महात्मा, शक्तिपात किया करते थें, और वह इससे चक्रों को जागृत किया करते थें। चक्र जागृत करने के दो ही रास्ते हैं। एक ध्यान व दूसरा शक्तिपात, तो शक्तिपात की इस क्रिया को ही रेंकी कहा जाता हैं। परंतु डाँ मिकाओ उशुई ने इसे ध्यान के द्वारा प्राप्त किया था। और एक खास बात की रेंकी कुंडलिनी शक्ति का प्रयोग ही हैं। रेंकी मैं ऊर्जा ब्रह्मांड से लेकर आगे सामने वाले पर प्रवाहित की जाती हैं, और उसका चैनल या यूं कहें कि माध्यम हम होते हैं बस यही रेंकी हैं।
सदियों से मनुष्य ने बह्मांड में व्याप्त इस चेतना शक्ति को जानने की कोशिश की हैं। यही शक्ति हमारे शरीर का निर्माण करती हैं। और पूरे जीवन का संचालन करती हैं। हमारे महान ऋषियों ने बहुत पहले बता दिया था। कि यह चेतन शक्ति सभी वस्तुओं में निवास करती हैं। और यही शक्ति हमारे हाथों से रेंकी उपचार के समय प्रवाहित होती हैं।
प्राचिन समय से चली आ रही आशीर्वाद, प्रार्थनाये, शक्तिपात, चक्र जाग्रत करना, संकल्पों के द्वारा रोंगों को ठीक करना, भक्तों के द्वारा किए जाने वाले कार्य आदि परंपराएं रेंकी का ही रूप हैं। और इस बात से सिद्ध होता हैं। कि डॉक्टर मिकाओ उशुई से पहले भी भारत में इसका प्रयोग संत महात्मा करते थें
रेंकी के चरण
प्रथम चरण (रेंकी 1st डिग्री) -: यह रेंकी का बेसिक कोर्स हैं। रेंकी मास्टर द्वारा ब्रह्मांडीय ऊर्जा को शक्तिपात के द्वारा शरीर में संचारित किया जाता हैं। रेंकी क्या हैं। इतिहास, रेंकी के स्थान, मन को स्थिर करने की विधि, रेंकी सिद्धांत, शरीर के सभी 26 बिंदुओं पर ऊर्जा को लेने का तरीका बताया जाता हैं।
भौतिक शरीर की रुकावट को खोल कर ऊर्जा का संचरण किया जाता हैं। और फिर 21 दिन तक आपको अभ्यास करना होता हैं। इस अभ्यास के दौरान आने वाली बाधाओं का समाधान किया जाता हैं। तथा आपके अनुभव के आधार पर जब यह पता लग जाता हैं। कि अब आप ब्रह्मांडीय ऊर्जा को अवशोषित कर पा रहे हैं और इसे हाथों के द्वारा आगे दे पा रहे हैं। तब द्वितीय डिग्री लेने की इजाजत दी जाती हैं।
द्वितीय चरण (रेंकी 2nd डिग्री) -: रहस्यमय मंत्र एवं सिंबल दिए जाते हैं। जिनके द्वारा हम दूर बैठे व्यक्तियों को भी रेंकी भेज सकते हैं। और सभी चक्रो पर विशेष शक्तिपात किया जाता हैं। चक्रों का संतुलन करना सिखाया जाता हैं। रेंकी बॉक्स बनाना एवम सुदर्शन चक्र के निर्माण की क्रिया दी जाती हैं। इससे आप अपनी इच्छाएं पूरी करने लगते हैं। दूसरों को स्वस्थ करने लगते हैं। सभी चक्रों का के बारे में बताया जाता हैं। किस किस चक्र से क्या क्या लाभ होंगे और प्रत्येक चक्र को बिना स्पर्स किए कैसे ऊर्जा देते हैं सिखाया जाता हैं। इसमें आपको तीन सिंबल दिए जाते हैं एक पावर बढ़ाने के लिए, दूसरा रक्षा के लिए, तीसरा दुरस्त हिलिंग के लिए, इसमें ऊर्जा पहले से 4 गुना हो जाती हैं। कंपनी भी बढ़ जाता हैं।
तृतीय चरण (रेंकी 3rd डिग्री) -: अत्यंत शक्तिशाली सिंबल दिया जाता हैं। आप सामने वाले की सभी इच्छाएं पूरी कर सकते हैं। साइकिक हिलिंग उपचार, एवम कुछ मंत्र व एक सिंबल दिया जाता हैं। जिससे ऊर्जा बहुत तेजी से ली एवम दी जा सकती हैं। आप हर प्रकार के मरीज का इलाज करने में सक्षम हो जाते हैं। मास्टर बन जाते हैं। लोगों को रेंकी 1st डिग्री एवं रेंकी 2nd डिग्री सिखा सकते हैं। आज्ञा चक्र के द्वारा ब्रहमांड में प्रवेश कराया जाता हैं।
करुणा साधना को बताया जाता हैं। इसमें आप सभी पेड़ पौधों से ऊर्जा लेने लगते हैं। सभी के प्रति प्रेम को बढ़ावा मिलता हैं। सामने वाला आपसे प्रेम करने लगता हैं। और आप उससे प्रेम करने लगते हैं। आपका हृदय करुणा से भरने लगता हैं। आप सब पर दया करने लगते हैं।
तृतीय चरण (रेंकी 3rd डिग्री) में आपको कुछ अन्य सिंबल भी दिए जाते हैं। जिससे आप और बहुत सी जरूरतें अपनी व दूसरों की पूरी कर पाते हैं।
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